मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

वाइरस से होने वाले प्रमुख रोग और उस रोगों का उपचार, संक्रमण,और वाइरस सजीव है या निर्जीव? सबकुछ जानकारी हिंदी में

 वाइरस से होने वाले प्रमुख रोग और उस रोगों का उपचार, संक्रमण,और वाइरस सजीव है या निर्जीव?सबकुछ जानकारी हिंदी में 

हेलो मेरे डियर फ्रेंड आज हम इस आर्टिकल में संक्रमण वाइरस से होने वाले प्रमुख रोग और उस रोगों का उपचार, संक्रमण,और वाइरस सजीव है या निर्जीव?सबकुछ जानकारी हिंदी में पढ़ेंगे। और यह माहिती उपटुडेट माहिती आपको मिलेगी। 

 वाइरस सजीव है या निर्जीव? (ARE VIRUS LIVING OR NON-LIVING?)

वाइरस को निर्जीव क्यों कहते हैं (Non-living Characters of Virus)

1. प्रत्येक वाइरस प्रोटीन खोल में बन्द एक DNA या RNA का अणु होता है।

2. वाइरस कोशिकीय (cellular) नहीं होते क्योंकि इनमें कोशिका कला, कोशिकाद्रव्य तथा कोशिकांग नहीं होते।

3. वाइरसों को एकत्रित करके रेत, नमक, आदि के कणों की भाँति, वर्षों बोतलों में भरकर रखा जा सकता है।

4. प्रत्येक सजीव कोशिका में दो प्रकार के न्यूक्लीक अम्ल, DNA व RNA, पाये जाते हैं किन्तु वाइरसों में इनमें से केवल एक ही (DNA अथवा RNA) होता है।

5. केवल सजीव कोशिकाओं के अन्दर पहुँचने पर ही वायरस में पोषण एवं जनन होता है।

6. वायरसों में कभी भी वृद्धि नहीं होती है।

वाइरस सजीव है या निर्जीव? (ARE VIRUS LIVING OR NON-LIVING?)

वाइरस को सजीव क्यों कहते हैं (living Characters of Virus)


1. वायरस आविकल्पी परजीवी हैं और अन्य अन्त: कोशिकीय रोग उत्पादक जीवों की तरह ही कोशिका के अन्दर रहकर रोग उत्पन्न करते हैं

2. सजीव कोशिकाओं की भांति इनमें DNA अथवा RNA मिलता है।

3. वायरस में सजीव कोशिकाओं के अंदर जनन का गुण होता है।

4. वायरसों में जीन उत्परिवर्तन पाए जाते हैं। यह उत्परिवर्तन सामान्य कोशिकाओं में पाए जाने वाले डीएनए के समान होते हैं।

वायरस सजीव तथा निर्जीव के मध्य की कड़ी भी कहा गया है।वायरसो में जीवों के सामान्य जैविक गुणों का समावेश नहीं है किन्तु ये निर्जीव अणु मात्र भी नहीं हैं।

विषाणुविज्ञ लोऑफ (Lowoff) के अनुसार- "विषाणु विषाणु ही हैं।"

वाइरस प्रोटीन एवं न्यूक्लीक अम्ल के बने अविकल्पी परजीवी हैं। विषाणु जीवित कोशिकाओं के अन्दर गुणन कर सकते हैं। विषाणु का अध्ययन विषाणु विज्ञान (virology) में करते हैं। वाइरस की खोज रूसी वैज्ञानिक इवानोवस्की ने सन् 1892 में तम्बाकू की पत्तियों में चितेरी रोग के अध्ययन के समय की थी।

वाइरस से होने वाले प्रमुख रोग 

जूकाम, इन्फ्लुएन्जा, पतिज्वर (yellowfever), खसरा, चेचक (smallpox), छोटी माता,(chickenpox), पोलियो (polio), herpes, रेबीज (rabies or hydrophobia), गलसुआ (mumps), मस्तिष्क शोथ (encephalitis), डेंगू (dengue), हिपटाइटिस (hepatitis), एड्स (AIDS), कैन्सर (cancer), जठरान्त्रशोथ (gastroentritis), तथा कंजक्टिवाइटिस (conjuctivitis), आदि।

पशुओं में 'खुरपका मुखपका' (foot and mouth) रोग, मनुष्य के 'पीत ज्वर वाइरस' (yellow fever virus) की खोज, पोलियो वाइरस (polio virus) की खोज, चेचक, मुर्गी में कैंसर रोग का पता लगाया।

वाइरस की- रोगों का संक्रमण- 

1. वायु द्वारा (By Air) : इन्फ्लुएन्जा, जुकाम, खसरा, चेचक, छोटी माता, आदि रोगों के वाइरस वायु के साथ श्वसन मार्ग से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं।

2.संक्रमित जानवरों के काटने से (By the Bite infectedAnimals) : संक्रमित कुत्ते के काटने से रेबीज वाइरस तथा मच्छर के काटने से डेंगू व पीत ज्वर के वाइरस हमारे शरीर को संक्रमित करते हैं।

3.संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से : संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी वाइरस हमारे शरीर को में पहुच कर शरीर को बीमार कर देता है

4. संक्रमित भोजन तथा पेय जल द्वारा (By Infected Food and Water) : हिपेटाइटिस, पोलियो तथा गैस्ट्रोएन्ट्राइटिस रोगों के वाइरस भोजन तथा पेय जल के साथ हमारे शरीर में पहुंचते

5. मूत्र-जनन मार्ग द्वारा (Through Urinogenital Tract): AIDS या HIV वाइरस लैंगिक क्रिया के समय मूत्र-जनन मार्ग द्वारा शरीर में पहुंचते हैं।

6. संक्रमित इंजेक्शन की सुई द्वारा (By Infected Injection Needle): Hepatitis-B और HIV viruses संक्रमित इन्जेक्शन सुई द्वारा संक्रमित रुधिर के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं।

वाइरस द्वारा होने वाले रोगों का उपचार (Treatment of Viral Diseases)

1. टीका लगाना (Vaccination): जैसे- चेचक, पोलियो, खसरा आदि।

2. रसायन चिकित्सा (Chemotherapy): जैसे- चेचक के लिए थायोसेमीकार्बेजोन, इन्फ्लुएन्जा के लिए राइबाविरिन तथा हिपेटाइटिस-B के लिए फोस्कानेंट (foscarnet), आदि एन्टीवाइरल औषधियाँ हैं।

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