गुरुवार, 28 जनवरी 2021

समष्टियों के बीच पारस्परिक क्रिया ,धनात्मक पारस्परिक क्रियाएं,ऋणात्मक अन्त:क्रियाएँ पूरी जानकारी

समष्टियों के बीच पारस्परिक क्रिया ,धनात्मक पारस्परिक क्रियाएं,ऋणात्मक अन्त:क्रियाएँ पूरी जानकारी

नमस्कार मित्रो आज हम आपके लिए एक बहेतरिन  न्यू आर्टिकल बायोलॉजी के रिलेटेड लेकर आया हूं तो आप उसे ध्यान से पढ़िए गा। इस आर्टिकल में आपको समष्टियों के बीच पारस्परिक क्रिया ,धनात्मक पारस्परिक क्रियाएं,ऋणात्मक अन्त:क्रियाएँ पूरी जानकारी

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प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले सभी पौधों, जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों की विभिन्न आबादियाँ, जो एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहती हैं, सदैव एक-दूसरे पर निर्भर रहती हैं। सूक्ष्मजीव, जन्तु एवं पादपों के मृत शरीर के जटिल कार्बनिक यौगिकों को सरल कार्बनिक पदार्थों में विघटित करके मृदा व वातावरण में वापस पहुँचाते हैं। इसे पोषक पदार्थों का चक्रण कहते हैं।

जीवीय समुदाय की विभिन्न समष्टियों के जीवों के बीच भोजन, स्थान व जनन के लिए प्रतिस्पर्धा की अन्योन्य क्रियाओं को पारस्परिक क्रियाएँ या अन्तःक्रियाएँ कहते हैं।

घनात्मक पारस्परिक क्रियाएं 

सहजीविता अथवा सहजीवन (symbiosis) का अर्थ है साथ साथ रहना अर्थात धनात्मक पारस्परिक क्रियाओं में एक अथवा दोनों जीव लाभान्वित होते हैं।

1. सहोपकारिता (Mutualism)

इसमें दोनों सहभागी समान रूप से लाभान्वित होते हैं। ये जीवित रहने, भोजन तथा कॉलोनी बनाने में एक-दूसरे की सहायता करते हैं। उदाहरण : लाइकेन व साइकस की प्रवालाभीय जड़ें आदि।

2. सहभोजिता (Commensalism)

इसमें एक सहभोजी दूसरे सहभोजी से लाभ लेता है। जबकि दूसरे सहभोजी को इस सम्बन्ध से कोई हानि नहीं होती। उदाहरण : आर्किड, कण्ठलताएँ।

3. आद्यसहकारिता (Protocooperation) Sciety

इसमें दोनों सहभोजी एक-दूसरे की सहायता करते हैं किन्तु इनमें कोई दैहिक सम्बन्ध नहीं होता और एक-दूसरे के बिना भी जीवित रहने में समर्थ होते हैं।

ऋणात्मक अन्त:क्रियाएँ

ऋणात्मक पारस्परिक प्रतिक्रियाओं में एक जाति के जीवों को लाभ होता है, तो दूसरी जाति के जीवों को हानि होती है।

1. स्पर्धा अथवा प्रतियोगिता (COMPETITION)

एक ही जाति के विभिन्न जीवों अथवा विभिन्न जाति के जीवों के बीच उचित आवास, भोजन, जल, सूर्य का प्रकाश तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों को प्राप्त करने की एक होड़ को स्पर्धा कहते हैं।

2.परभक्षण (PREDATION) 

परभक्षण दो जातियों के जीवों के बीच वह पारस्परिक सम्बन्ध है जिसमें एक जाति के जीव दूसरी जाति के जीवों का शिकार करके खाते हैं।वह जन्तु जो शिकार करता है, शिकारी (predator) अथवा परभक्षी तथा जिसका शिकार होता है, वह शिकार (prey) कहलाता है। इस प्रकार के सम्बन्ध में केवल शिकारी को लाभ पहुँचता है। शिकार सदा हानि में रहता। 

3. परजीविता (PARASITISM) 

यह दो विभिन्न जातियों के जीवों के बीच पाया जानेवा पारस्परिक सम्बन्ध है जिसमें परजीवी (parasite) अपना भोजन पोषक (host) से प्राप्त करता है। इस सम्बन्ध में परजीवी को लाभ किन्तु पोषक को हानि होती है।

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